पारंपरिक ज्ञान आधारित औषध विकास कार्यक्रम चयनित पारंपरिक हर्बल पौधों/ सूत्रीकरण के मान्यकरण पर ध्यान केंद्रित करता है जिन्हें हमारी लोककथाओं में चुनिंदा रूप से पारंपरिक हीलर/आरोग्य आदि के तौर पर संरक्षित किया गया है। प्राचीन काल से ही विभिन्न रोगों के इलाज के लिए लोककथाओं की दवा में पौधों के विभिन्न भागों का उपयोग तथा उनके लाभकारी औषधीय गुणों के लिए सेवन किया जाता रहा है। आज के दौर में, ये प्राकृतिक उत्पाद दवा बनाने का एक महत्वपूर्ण स्रोत साबित हुए है। औषधि के ऐसे प्रकार जिनसे पारंपरिक चीनी चिकित्सा, आयुर्वेद, कम्पो, पारंपरिक कोरियाई चिकित्सा तथा यूनानी प्राकृतिक उत्पादों का प्रयोग सैकड़ों या हजारों वर्षो से दुनिया भर में प्रचलित है और चिकित्सा की क्रमबद्ध विनियमित प्रणालियों में उभर कर आए है। भारत के चार हॉटस्पॉट्स में से एक है, उत्तर-पूर्वी भारत जो विश्व के औषधीय और सुगंधित पौधों के सबसे समृद्ध भंडार में से एक है। यह क्षेत्र भारत के बहुत से संजातीय लोगों का घर होने के साथ- साथ मानव जातियों की विविध संस्कृतियों के लिए भी जाना जाता है। इस क्षेत्र के शोध को चयापचय सिंड्रोम के खिलाफ लक्षित किया जाता है जिसमें मधुमेह, उच्च रक्तचाप, पेट का मोटापा, अन्य लोगों में हाइपरलिपिडोमिया शामिल है। संस्थान द्वारा किए गए पिछले शोध ने जड़ी- बूटियों के चिकित्सीय प्रभाव और मधुमेह तथा हृदय एवं रक्तवाहिकाओं संबंधी स्थिति पर सूत्रीकरण के स्थानीय चिकित्सकों के दावों की पुष्टि की है। इस ट्रांसलेशनल रिसर्च में हमने प्रायोगिक जीव विज्ञान, प्राकृतिक और सिंथेटिक उत्पाद रसायन विज्ञान, विश्लेषणात्मक रसायन विज्ञान, फार्माकोलॉजी, जैव रसायन और कम्प्यूटेशनल जीव विज्ञान के ज्ञान को एकीकृत किया है। इस संचित दृष्टिकोण के द्वारा हम उपापचयी सिंड्रोम और रोगों के उपचार तथा रोकथाम के लिए चिकत्सीय उत्पाद विकसित करने के लिए पारंपरिक ज्ञान को मान्य करने में सक्षम हुए है। अत्याधुनिक प्रयोगशाला सुविधा तथा उच्चतर उपकरणों के साथ चिकित्सीय अनुप्रयोग के कुछ अन्य महत्वपूर्ण शोध भी किए जा रहे हैं।
- होम
- बारे में
- अनुसंधान
- अनुसंधान विषय
- अनुसंधान कार्यक्रम
- बेसिक और एप्लाइड प्लाज़्मा भौतिकी
- उन्नत पदार्थ विज्ञान
- पारंपरिक ज्ञान आधारित औषध विकास एवं वितरण
- गणितीय और कंप्यूटेशनल विज्ञान
- जैव विविधता एवं पारिस्थितिक तंत्र अनुसंधान
- परियोजनाएं
- सहकार्यता
- प्रौद्योगिकी विकसित
- अकादमिक
- शिक्षणिक कार्यक्रम
- पीएच.डी कार्यक्रम
- पोस्ट डॉक्टरल कार्यक्रम
- इंटर्नशिप कार्यक्रम
- प्रतिभाशाली शोध छात्रों के लिए विशेष फैलोशिप
- स्नातक तथा स्नातकोत्तर शोध प्रबंध
- अकादमिक नियम
- अकादमिक कैलेंडर
- प्रवेश
- स्टूडेंट्स कॉर्नर
- शिक्षणिक कार्यक्रम
- प्रशासन
- समितियां
- शासी परिषद
- वित्त समिति
- वैज्ञानिक सलाहकार समिति
- भवन एवं कार्य समिति
- मानव आचार समिति
- पशु आचार समिति
- संस्थागत जैव सुरक्षा समिति
- संस्थान का चार्ट
- अधिकारियों एवं कर्मचारियों के अधिकार एवं कर्तव्य
- व्यक्ति
- प्रशासनिक स्टाफ
- शैक्षणिक अनुभाग
- डायरेक्टर ऑफिस
- रेगिस्टर्स ऑफिस
- जनरल एडमिनिस्ट्रेशन
- अकाउंट सेक्शन
- करस स्टाफ
- इंजीनियरिंग सेक्शन
- आईटी सेक्शन
- मल्टीटास्किंग स्टाफ’
- कोंट्राक्टुअल स्टाफ
- संकाय
- अनुसंधान छात्र
- तकनीकी स्टाफ
- पोस्ट डॉक्टरल फैलो
- प्रशासनिक स्टाफ
- बजट और कार्यक्रम
- राजस्व उत्पादन
- वर्तमान निर्माण कार्य की स्थिति
- अनुशासनिक कार्रवाई
- समितियां
- सुविधाएं
- [Custom]
- केंद्रीय उपकरण सुविधा (सी.आई.एफ)
- ज्ञान संसाधन केंद्र (केआरसी)
- डोरोथी हॉजकिन छात्र तथा वैज्ञानिक छात्रावास
- क्यूसी / क्यूअ लैब
- ऊष्मायन / ISVEC
- मनोरंजन की सुविधा
- एससी / एसटी प्रशिक्षण केंद्र
- [Custom]
- जैव-संसाधन संरक्षण हब(बीसीएच)
- आई.टी सेवाएं
- मशरूम उत्पादन और वर्मीकम्पोस्ट केंद्र
- बायो नेस्ट
- लघु खेल परिसर
- [Custom]
- बी.सी.एच औषधीय पादप बगीचा
- आर्किड रिसोर्स
- ऑब्जर्वेटरी सेण्टर
- चिंतन चोरा
- COVID 19 परीक्षण और IASST की अनुसंधान प्रयोगशाला
- [Custom]
- आउटरीच
- ग्राम अभिग्रहण कार्यक्रम
- छात्र/ शिक्षक आउटरीच कार्यक्रम
- आई.ए.एस.एस.टी का ओपन डे कार्यक्रम
- आई.ए.एस.एस.टी का विज्ञान दिवस कार्यक्रम
- रोड शो
- आई.ए.एस.एस.टी द्वारा प्रदर्शित प्रदर्शनिया
- सूचना
- सर्च